18 September 2025
इस मंदिर के गर्भगृह की छत खुली है, लेकिन बारिश का एक भी कतरा अंदर नहीं गिरता। यह बात आज तक वैज्ञानिकों को भी हैरान करती है। लोग इसे माता का चमत्कार मानते हैं।
इस प्राचीन मंदिर में कुछ खास पत्थरों से अपने-आप ध्वनि निकलती है। मंदिर में घंटा बजाना मना है, फिर भी वहां गूंज बनी रहती है। यह रहस्य आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करता है।
इस मंदिर के गुंबद पर रखा गया पत्थर करीब 80 टन वजनी है। आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि उस जमाने में इतनी ऊंचाई तक यह पत्थर कैसे ले जाया गया और रखा गया।
समंदर के बीच स्थित यह दरगाह तेज ज्वार-भाटे के वक्त भी पूरी तरह डूबती नहीं है। हर बार पानी खुद हट जाता है या किनारा बना देता है। इसे लोग खुदा की करामात मानते हैं।
इस मंदिर में देवी के दर्शन अग्नि रूप में होते हैं। यहां की सबसे खास बात यह है कि बिना किसी ईंधन या बाहरी स्रोत के, जमीन से खुद-ब-खुद अग्नि की लपटें निकलती हैं। वैज्ञानिक कारण आज तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन भक्त इसे मां की शक्ति का प्रमाण मानते हैं।
कामाख्या मंदिर में हर साल जून महीने में तीन दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवी मां को उन दिनों मासिक धर्म होता है। खास बात यह है कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी उन दिनों लाल हो जाता है। वैज्ञानिक इसे समझ नहीं पाए हैं, लेकिन भक्त इसे मां का जीवंत चमत्कार मानते हैं।
इस गांव के घरों में दरवाजे नहीं हैं, यहां तक कि दुकानों में भी ताले नहीं लगाए जाते। माना जाता है कि यहां चोरी नहीं होती क्योंकि शनि देव की कड़ी निगरानी रहती है। यह आस्था आज तक लोगों को सुरक्षा का भरोसा देती है।