MCLR, RLLR, और EBLR इंटरेस्ट रेट क्या है? आपने जो लोन लिया है उसमें कौन का रेट लगा है - ऐसे पता चलेगा

03 October 2025

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जब आप बैंक से लोन लेते हैं, तो बैंक आपको ब्याज दर (इंटरेस्ट रेट) चार्ज करता है। यह ब्याज दर एक बेस रेट या रेफरेंस रेट (जिसे बेंचमार्क रेट भी कहते हैं) से जुड़ी होती है। बैंक इस बेंचमार्क रेट में थोड़ा अतिरिक्त शुल्क या मार्जिन (प्रीमियम) जोड़कर अपने होम लोन, पर्सनल लोन जैसी विभिन्न लोन सुविधाओं की कीमत तय करते हैं।

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MCLR, RLLR, और EBLR तीनों ही बेस रेट या रेफरेंस रेट या बेंचमार्क रेट होते हैं। बैंक अपने लोन की ब्याज दर तय करते समय इन्हें आधार बनाते हैं। ऐसे में जब आप लोन लेने जाते हैं, तो सबसे जरूरी यह समझना होता है कि MCLR, RLLR, और EBLR क्या हैं और आपके लोन पर कौन सी ब्याज दर लागू होगी।

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MCLR, RLLR, और EBLR तीनों ही फ्लोटिंग रेट होते हैं, मतलब ये समय-समय पर बदलते रहते हैं। ये बैंक की फंडिंग कॉस्ट, RBI की नीतियों, और बाजार के हालात के हिसाब से अपडेट होते रहते हैं। दूसरी ओर फिक्स्ड रेट का कोई एक खास नाम (जैसे MCLR या EBLR जैसा) नहीं होता।

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ध्यान दें

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इसका फुल फॉर्म Marginal Cost of Funds based Lending Rate होता है। यह भारत के ज्यादातर बैंकों की मुख्य रेफरेंस दर है। बैंक अपनी लागत और कुछ अन्य खर्चों को जोड़कर इस दर को तय करते हैं। ज्यादातर होम लोन और पर्सनल लोन अब MCLR के आधार पर मिलते हैं।

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MCLR का मतलब?

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इसका फुल फॉर्म Repo Linked Lending Rate होता है। यह ब्याज दर RBI के रेपो रेट से जुड़ी होती है। यानी जैसे ही RBI रेपो रेट बढ़ाता या घटाता है, आपकी ब्याज दर भी उसी के अनुसार बदलती है।

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RLLR का मतलब?

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इसका फुल फॉर्म External Benchmark Lending Rate होता है। यह भी RBI के बाहरी बेंचमार्क (जैसे बैंक गारंटीड सिक्योरिटी, ट्रीजरी बिल आदि) पर आधारित होता है। इसका फायदा यह होता है कि ब्याज दरें पूरी तरह से बाजार के आधार पर तय होती हैं, जिससे आपको ज्यादा ट्रांसपेरेंसी मिलती है।

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EBLR का मतलब?

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जब आप बैंक या NBFC से लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो लोन डॉक्यूमेंट में Interest Rate Structure साफ लिखा होता है। आप उनसे सीधे पूछ सकते हैं कि आपका लोन किस बेस रेट (MCLR, RLLR या EBLR) पर है। साथ ही आप ब्याज दर के बदलाव के नियम भी जान लें।

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कैसे पता करें कौन सी ब्याज दर लग रही है?

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a) MCLR आधारित लोन - अगर आप थोड़ा स्थिर और ज्यादा अनुभव वाली दर चाहते हैं, तो यह बेहतर है। ज्यादातर लोग इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह अब भी सबसे आम है। b) RLLR आधारित लोन - यह थोड़ा ज्यादा फ्लेक्सिबल है और RBI की मौद्रिक नीति के मुताबिक तेजी से बदलेगा। अगर आप बाजार की चाल से जुड़ा रहना चाहते हैं तो यह ठीक है। c) EBLR आधारित लोन - यह सबसे ट्रांसपेरेंट माना जाता है। अगर आप ब्याज दरों में जल्दी बदलाव और मार्केट ट्रेंड के हिसाब से रेट देखना चाहते हैं, तो EBLR चुन सकते हैं।

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कौन सी ब्याज दर लेना चाहिए?

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