P/E Ratio vs P/B Ratio: अगर आपने कभी शेयर बाजार को समझने की कोशिश की है, तो आपने शायद P/E रेश्यो और P/B रेश्यो जैसे शब्दों को जरूर सुना होगा। इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल निवेशक यह आकलन करने के लिए करते हैं कि कोई शेयर खरीदने लायक है या नहीं। ऐसे में इन दोनों टर्म को समझना जरूरी हो जाता है। आज हम आपको P/E रेश्यो और P/B रेश्यो के बारे में काफी आसान शब्दों में उदाहरण से साथ समझाएं ताकी आपकी उलझन हमेशा के लिए दूर हो जाए। चलिए डिटेल में जानते हैं।
क्या है P/E रेश्यो?
P/E रेश्यो का पूरा नाम प्राइस टू अर्निंग (Price-to-Earnings) रेश्यो है। मान लीजिए कि आप एक बिजनेस खरीद रहे हैं और आप जानना चाहते हैं कि वह बिजनेस हर साल कितना प्रॉफिट कमाता है और आप इसके लिए कितना पेमेंट कर रहे हैं। P/E रेश्यो आपको यही बताता है।
आसान शब्दों में कहें तो P/E रेश्यो यह बताता है कि निवेशक किसी कंपनी की कमाई के ₹1 के लिए कितना भुगतान करने को तैयार है।
P/E रेश्यो कैसे काम करता है?
P/E रेश्यो की गणना करने के लिए, आप किसी शेयर के वर्तमान मार्केट वैल्यू (शेयर प्राइस) को प्रति शेयर आय (EPS) से डिवाइड करना होगा। P/E Ratio = Price of One Share ÷ Earnings Per Share
Earnings per Share (EPS) वह प्रॉफिट है जो एक कंपनी प्रत्येक शेयर पर कमाती है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है: EPS = Net Profit ÷ Total Number of Shares
उदाहरण: मान लीजिए किसी कंपनी के शेयर की कीमत ₹100 है और उसका EPS ₹10 है। तो इस हिसाब से P/E रेश्यो = ₹100 ÷ ₹10 = 10. इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी की कमाई के हर ₹1 पर ₹10 का भुगतान कर रहा हैं।
हाई P/E रेश्यो का मतलब है कि शेयर अपनी कमाई की तुलना में महंगा है। निवेशक उम्मीद कर सकते हैं कि कंपनी भविष्य में तेजी से बढ़ेगी, इसलिए वे अभी ज्यादा भुगतान करने को तैयार हैं। कम P/E रेश्यो का मतलब है कि शेयर अपनी कमाई की तुलना में सस्ता है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कंपनी का वैल्यूएशन कम है, या वह संघर्ष कर रही है।
लेकिन याद रखें, हाई या लो P/E रेश्यो का मतलब अच्छा या बुरा नहीं होता। यह कंपनी की भविष्य की क्षमता, उसके उद्योग और समग्र बाजार स्थितियों पर निर्भर करता है।
क्या होता है P/B रेश्यो?
P/B रेश्यो का पूरा नाम प्राइस टू बुक (Price-to-Book) रेश्यो है। यह रेश्यो किसी कंपनी के मार्केट वैल्यू की तुलना उसके बुक वैल्यू से करता है। बुक वैल्यू कंपनी का कागज पर मूल्य होता है जो उसकी संपत्तियों में से उसकी देनदारियों को घटाकर कैलकुलेट किया जाता है।
इसे इस तरह से सोचें: यदि कोई कंपनी आज बंद हो जाए और अपनी सारी संपत्ति बेच दे, तो शेयरधारकों को उसका बुक वैल्यू ही मिलेगा।
P/B रेश्यो की गणना करने के लिए, आप किसी शेयर के वर्तमान बाजार मूल्य (शेयर प्राइस) को प्रति शेयर बुक वैल्यू डिवाइड किया जाता है। P/B Ratio = Price of One Share ÷ Book Value Per Share
उदाहरण: मान लीजिए किसी कंपनी के शेयर की कीमत ₹200 है और प्रति शेयर उसका बुक वैल्यू ₹100 है तो इस हिसाब से इसका P/B रेश्यो = ₹200 ÷ ₹100 = 2. इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी के नेट एसेट के प्रत्येक ₹1 के लिए ₹2 का भुगतान कर रहे हैं।
1 के P/B रेश्यो का मतलब है कि शेयर की कीमत उसके बुक वैल्यू पर ही है। 1 से ऊपर के P/B रेश्यो का मतलब है कि शेयर की कीमत उसके बुक वैल्यू से ज्यादा है। निवेशक मान सकते हैं कि कंपनी बढ़ेगी या भविष्य में इसमें मजबूत संभावनाएं हैं। 1 से कम P/B रेश्यो का मतलब है कि शेयर की कीमत उसके बुक वैल्यू से कम है। इसका मतलब यह हो सकता है कि शेयर का वैल्यूएशन कम किया गया है, या निवेशकों को कंपनी पर ज्यादा भरोसा नहीं है।
ध्यान रखें की P/B रेश्यो अपने आप में पूरी तस्वीर नहीं देता। यह किसी शेयर का वैल्यूएशन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई टूल में से एक है।
P/E रेश्यो और P/B रेश्यो क्यों मायने रखते हैं?
P/E रेश्यो और P/B रेश्यो, दोनों ही निवेशकों को सोच-समझकर निर्णय लेने में मदद करते हैं। ये रेश्यो तुरंत बता देते हैं कि कोई शेयर अपनी कमाई और एसेट की तुलना में महंगा है या सस्ता।
मान लीजिए आप दो कंपनियों की तुलना कर रहे हैं:
- कंपनी A का P/E रेश्यो 15 और P/B रेश्यो 1.5 है।
- कंपनी B का P/E रेश्यो 30 और P/B रेश्यो 5 है।
पहली नजर में, कंपनी A सस्ती लगती है। लेकिन हो सकता है कि कंपनी B तेजी से बढ़ रही हो या उसका भविष्य बेहतर हो। ये रेश्यो आपको निवेश करने से पहले सही सवाल पूछने में मदद करते हैं।