02 May 2025
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चार धाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है और अब सैकड़ों भक्त महादेव के दर्शन करने के लिए देश के कोने- कोने से पहुंच रहे हैं।
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मान्यता है कि जब तक भक्त नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक केदारनाथ यात्रा अधूरी रहती है। कहा जाता है कि दोनों धामों के दर्शन करने के बाद ही आपकी केदारनाथ की यात्रा पुरी होती है।
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कहा जाता है कि महादेव ने केदारनाथ में भैंसे का रूप लिया था और उनका मुख पशुपतिनाथ में प्रकट हुआ। इसलिए दोनों धामों के दर्शन एक साथ जरूरी माने जाते हैं।
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दरअसल महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव की तलाश में निकले थे लेकिन शिवजी उनसे नाराज थे और उन्होंने खुद को छिपा लिया था।
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पांडवों से बचने के लिए शिवजी ने एक भैंसे का रूप धारण कर लिया और केदारखंड में छिप गए, लेकिन पांडवों ने शिवजी को पहचान लिया और भीम ने बलपूर्वक भैंसे की पूंछ और पिछले हिस्से को पकड़ लिया।
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कहा जाता है कि शिवजी का पीठ केदारनाथ में प्रकट हुई, जबकि उनका मुख नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में प्रकट हुआ।
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मान्यता है कि जब तक भक्त केदारनाथ और पशुपतिनाथ — दोनों स्थानों के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक यात्रा अधूरी रहती है।
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