जरुरत से ज्यादा दवाई तो नहीं खा रहे आप? डॉक्टरों ने दी बड़ी चेतावनी

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर अभी भी लोगों ने एंटीबायोटिक के बेवजह इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई तो आने वाले वर्षों में यह समस्या नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

जरुरत से ज्यादा दवाई तो नहीं खा रहे आप? डॉक्टरों ने दी बड़ी चेतावनी

जरुरत से ज्यादा दवाई तो नहीं खा रहे आप? डॉक्टरों ने दी बड़ी चेतावनी / canva

एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक की शुरुआत के साथ ही दुनिया में एंटीबायोटिक दवाओं के गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल पर चिंता गहराती जा रही है। डब्ल्यूएचओ 2015 से लगातार लोगों को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस यानी एएमआर के खतरे के बारे में आगाह कर रहा है। साइंस डायरेक्ट में छपी एक स्टडी तो यहां तक कहती है कि साल 2050 तक दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें इसी वजह से हो सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप भी समझें कि कहीं आप भी तो डॉक्टर की सलाह बिना दवाएं खाकर अपने शरीर पर एंटीबायोटिक्स का असर खत्म नहीं कर रहे।

 

क्या है एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस?

 

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब शरीर के बैक्टीरिया या वायरस इतने मजबूत हो जाएं कि उन पर दवाओं का असर न हो तो इसे एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहा जाता है। आम सर्दी जुकाम या बुखार में ली जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं ज्यादातर असर दिखाती हैं लेकिन इनके गलत और बार बार सेवन से बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2019 में 12.7 लाख मौतें सीधे एएमआर के कारण हुईं जबकि 49.5 लाख मौतों में यह एक अप्रत्यक्ष वजह रहा। इसी कारण इसे भविष्य की साइलेंट महामारी कहा जा रहा है।

 

भारत में तेजी से बढ़ रहा खतरा

 

भारत में हर साल अरबों एंटीबायोटिक डोज का इस्तेमाल हो रहा है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। लैसेंट ई क्लिनिकल मेडिसिन की रिपोर्ट बताती है कि भारत के 83 प्रतिशत मरीजों में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस ऑर्गनिज्म पाए गए हैं। यानी आम एंटीबायोटिक अब इन मरीजों पर असर नहीं करती। यह स्थिति न सिर्फ मरीजों बल्कि देश की संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए भी बड़ा खतरा है। रिपोर्ट में भारत को सुपरबग विस्फोट के केंद्र में बताया गया है। एंडोस्कोपी कराने वाले मरीजों में एमडीआरओ की मौजूदगी भारत में इटली अमेरिका और नीदरलैंड जैसे देशों से कई गुना अधिक मिली है।

 

डॉक्टरों ने चेतावनी दी

 

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर अभी भी लोगों ने एंटीबायोटिक के बेवजह इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई तो आने वाले वर्षों में यह समस्या नियंत्रण से बाहर हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की नई रिपोर्ट में भी दक्षिण पूर्व एशिया जिसमें भारत शामिल है को सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में गिना गया है। डॉक्टरों का कहना है कि हर बीमारी में एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती। कई बार वायरल बुखार या सर्दी जुकाम दो से तीन दिनों में खुद ठीक हो जाते हैं। बिना सलाह एंटीबायोटिक लेना और भी खतरनाक साबित हो सकता है।