माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जो कई बार मामूली वजहों से भी भड़क उठती है। मौसम, दिनचर्या या खानपान में हल्का सा बदलाव भी दर्द को बढ़ा सकता है। हैरानी की बात यह है कि जिन फलों को हेल्दी माना जाता है, जैसे केला और एवोकाडो, वही कई लोगों के लिए माइग्रेन ट्रिगर करने का कारण बन सकते हैं। दोनों फलों में मौजूद कुछ प्राकृतिक कंपाउंड संवेदनशील लोगों में दिमाग की केमिकल एक्टिविटी को प्रभावित करते हैं।
केले और एवोकाडो में टायरामिन नाम का तत्व पाया जाता है। यह एक अमीनो एसिड बाय-प्रोडक्ट है, जो शरीर में प्रोटीन टूटने पर बनता है। टायरामिन ब्लड वेसल्स पर असर डालता है और न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज को प्रभावित कर सकता है। माइग्रेन में यह प्रक्रिया दर्द शुरू करने या बढ़ाने का काम करती है। खासतौर पर बहुत पके हुए केले और एवोकाडो में टायरामिन का स्तर बढ़ जाता है। इससे ट्रिगर होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
फायदों की बात करें तो केला पोटैशियम, मैग्नीशियम और विटामिन B6 से भरपूर होता है। ये तत्व शरीर को ऊर्जा देने, मांसपेशियों को रिलैक्स करने और दिमाग की कार्यप्रणाली को सपोर्ट करने में मदद करते हैं। वहीं एवोकाडो में हेल्दी फैट, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं। ये दिल, ब्लड शुगर और त्वचा के लिए उपयोगी माने जाते हैं।
माइग्रेन ट्रिगर होने की समस्या तब बढ़ती है जब केला या एवोकाडो बहुत पका हुआ हो। इनमें हिस्टामीन और कुछ पॉलीफेनॉल भी पाए जाते हैं, जो संवेदनशील लोगों में सूजन और नर्वस सिस्टम को ज्यादा एक्टिव कर सकते हैं। कई रिसर्च में पाया गया है कि टायरामिन वाला खाना माइग्रेन के मरीजों में दर्द बढ़ा सकता है।
यदि आपको माइग्रेन रहता है तो कुछ सावधानियां रखना जरूरी है। बहुत पके हुए फल न खाएं। फूड डायरी बनाकर नोट करें कि किस चीज से सिरदर्द बढ़ता है। मात्रा नियंत्रित रखें, क्योंकि थोड़ी मात्रा कई बार परेशानी नहीं करती। सही संतुलन के साथ आप इन फलों का पोषण ले सकते हैं, बिना माइग्रेन को बढ़ाए।